मिल जाएँगे 'हमारी' भी "तारीफ़" करने वाले
कोई हमारी 'मौत' की "अफ़वाह" तो फैलाओ यारों
कलम चलती है तो दिल की आवाज लिखता हूँ;
गम और जुदाई के अंदाज़-ए-बयां लिखता हूँ;
रुकते नहीं हैं मेरी आँखों से आंसू; मैं जब भी उसकी याद में अल्फाज़ लिखता हूँ
वास्ता नहीं रखना तो नज़र क्यों रखते हो
किस हाल में हूँ जिंदा खबर क्यों रखते हो
कभी तू नाराज़ कभी मैं नाराज़
उफ़ ये मोहब्बत उफ़ ये अंदाज़
उनकी न थी ख़ता हम ही कुछ ग़लत समझ बैठे
वो मुहब्बत से बात करते थे हम मुहब्बत ही कर बैठे
दर्द बेचते है हम यहां लफ़्ज़ों में ढालकर
अगर चोट पहुँचे तो गुस्ताखी माफ़ कीजिये
मैं फिर से निकलूंगा तलाश-इ-ज़िन्दगी में
बस,दुआ करना इस बार किसी से इश्क़ न हो!
दिलो जान से करेंगे हिफ़ाज़त तेरी
बस एक बार कह दे कि “मैं अमानत हूं तेरी”
"हजारो वादे कर रहे होआज मुझे पाने के लिए
एक बहाना भी बहुत होगा तुम को कल मुझे छोड़ जाने के लिए"
“कोहराम मचा रखा है जनवरी की सर्द हवावों ने..,
और एक उसके दिल का मौसम है जो बदलने का नाम ही नही लेता”
दर्द का अंत कौन नहीं चाहता
"दीपक" भी जलता है, खुद को बुझाने के लिए
तुम्हे इस हद तक चाहने की तमन्ना है की
मेरे जाने के बाद भी तुम मेरे लिए जी सको
कोई हमारी 'मौत' की "अफ़वाह" तो फैलाओ यारों
कलम चलती है तो दिल की आवाज लिखता हूँ;
गम और जुदाई के अंदाज़-ए-बयां लिखता हूँ;
रुकते नहीं हैं मेरी आँखों से आंसू; मैं जब भी उसकी याद में अल्फाज़ लिखता हूँ
वास्ता नहीं रखना तो नज़र क्यों रखते हो
किस हाल में हूँ जिंदा खबर क्यों रखते हो
कभी तू नाराज़ कभी मैं नाराज़
उफ़ ये मोहब्बत उफ़ ये अंदाज़
उनकी न थी ख़ता हम ही कुछ ग़लत समझ बैठे
वो मुहब्बत से बात करते थे हम मुहब्बत ही कर बैठे
दर्द बेचते है हम यहां लफ़्ज़ों में ढालकर
अगर चोट पहुँचे तो गुस्ताखी माफ़ कीजिये
मैं फिर से निकलूंगा तलाश-इ-ज़िन्दगी में
बस,दुआ करना इस बार किसी से इश्क़ न हो!
दिलो जान से करेंगे हिफ़ाज़त तेरी
बस एक बार कह दे कि “मैं अमानत हूं तेरी”
"हजारो वादे कर रहे होआज मुझे पाने के लिए
एक बहाना भी बहुत होगा तुम को कल मुझे छोड़ जाने के लिए"
“कोहराम मचा रखा है जनवरी की सर्द हवावों ने..,
और एक उसके दिल का मौसम है जो बदलने का नाम ही नही लेता”
दर्द का अंत कौन नहीं चाहता
"दीपक" भी जलता है, खुद को बुझाने के लिए
तुम्हे इस हद तक चाहने की तमन्ना है की
मेरे जाने के बाद भी तुम मेरे लिए जी सको
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