मुस्कान का कोई मोल नहीं होता ,
रिश्तों का कोई तोल नहीं होता,
लोग तो मिल जाते है हर रस्ते पर ,
लेकिन हर कोई आपकी तरह अनमोल नहीं होता।
जो बदनाम थे कल तक, आज वो सुखनवर हो गए
जो थे कल तक बाहर, आज दिलों के अंदर हो गए
हम तो आज भी एक कतरा हैं रुके हुए पानी का,
पर लोग देखते ही देखते, कतरे से समंदर हो गए…
ना तस्वीर है उसकी की दीदार किया जाये ,
ना पास है वो जो उसे प्यार किया जाये,
यह कैसा दर्द दिया है उस बेदर्द ने ,
ना उससे कुछ खा जाये ,
ना उसके बिन रहा जाये।
यूँ पलके बिछा कर तेरा इंतज़ार करते है ,
ये वो गुनाह है जो हम बार बार करते हैं ,
जलकर हसरत की राह पर चिराग,
हम सुबह और शाम तेरे मिलने का इंतज़ार करते हैं।
क़यामत टूट पड़ती है,
ज़रा से होंठ हिलने पर !
जाने क्या हस्र होगा,
जब वो खुलकर मुस्कुरायेंगे
मेरे दिल में तेरे लिए प्यार आज भी है
माना कि तुझे मेरी मोहब्बत पर शक आज भी है
नाव में बैठकर जो धोए थे हाथ तूने
पूरे तालाब में फैली मेंहदी की महक आज भी है…
लिखी कुछ शायरी ऐसी तेरे
नाम से कि,जिसने तुम्हे देखा भी नही
उसने भी तेरी तारीफ कर दी
किसी उदास मौसम में,
मेरी आँखों पे वो हाथ रख दे अपना,
और हस्ती हुई कह दे,
पहचान लो तो हम तुम्हारे
ना पहचानो तो तुम हुमारे..
मेरी साँसों में बिखर जाओ तो अच्छा है…
बन के रूह मेरे जिस्म में उतार जाओ तो अच्छा है…
किसी रात तेरी गोद में सिर रख कर सो जाऊँ मैं…
उस रात की कभी सुबह ना हो तो अच्छा है…
तन्हाईयों में मुस्कुराना इश्क है;
एक बात को सबसे छुपाना इश्क है;
यु तो नींद नहीं आती हमें रात भर;
मगर सोते-सोते जागना और जागते-जागते सोना इश्क है
तुझे इनकार है मुझसे, मुझे इकरार है तुझसे,
तू खफा है मुझसे, मुझे चाहत है तुझसे,
तू मायूस है मुझसे, मुझे खुशी है तुझसे,
तुझे नफ़रत है मुझसे और मुझे प्यार है तुझसे…
मोहब्बत करने चला है,
तो कुछ अदब भी सीख लेना ऐ दोस्त…
इसमें हंसते साथ हैं,
पर रोना अकेले ही पड़ता है….
क्यूँ हम किसी के ख्यालो मे खो जाते है,
एक पल की दूरी मे रो जाते है..
कोई हमे इतना बता दो की,हम ही ऐसे है
या प्यार करने के बाद सब ऐसे हो जाते है.
तू मुझमें पहले भी था ,
तू मुझमें अब भी है।
पहले मेरे लफ्जों में था
अब मेरी खामोशियों में है।
प्यार जब मिलता नही तो होता ही क्यूँ है”
“अगर ख्वाब सच नही होते तो इंसान सोता क्यू है”
“जब यही प्यार आँखो के सामने किसी और का हो जाए”
“तो फिर यह पागल दिल इतना रोता क्यूँ है”
चलो आज खामोश प्यार को इक नाम दे दें,
अपनी मुहब्बत को इक प्यारा अंज़ाम दे दें
इससे पहले कहीं रूठ न जाएँ मौसम अपने
धड़कते हुए अरमानों एक सुरमई शाम दे दें ! –
मेरी वफ़ाएँ याद करोगे,
रोओगे फरियाद करोगे,
मुजको तो बर्बाद किया हे,
अब ओर किसे बर्बाद करोगे.
कहा मिलेगा तुम्हे मुझ जैसा कोई;
जो तुम्हारे सितम भी सहे;
और तुमसे मोहब्बत भी करे!
हसीनो ने हसीन बनकर गुनाह किया,
औरों को तो क्या हमको भी तबाह किया,
पेश किया जब ग़ज़लों में हमने उनकी बेवफ़ाई को,
औरों ने तो क्या उन्होने भी वाह-वाह किया.
अब तो गम सहने की आदत सी हो गयी है
रात को छुप – छुप रोने की आदत सी हो गयी है
तू बेवफा है खेल मेरे दिल से जी भर के
हमें तो अब चोट खाने की आदत सी हो गयी है .
कुछ चीज़े हम पुरानी छोड़ आए हैं,
आते आते उसकी आँखो मे पानी छोड़ आए हैं,
ये ऐसा दर्द है जो बया हो ही नही सकता…
दिल तो साथ ले आए धड़कन छोड़ आए हैं…
हर दिल का एक राज़ होता है,
हर बात का एक अंदाज़ होता है ..
जब तक ना लगे बेवफ़ाई की ठोकर ,
हर किसी को अपनी पसंद पर नाज़ होता है..
अब तो गम सहने की आदत सी हो गयी है
रात को छुप – छुप रोने की आदत सी हो गयी है
तू बेवफा है खेल मेरे दिल से जी भर के
हमें तो अब चोट खाने की आदत सी हो गयी है .
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