लिखी कुछ शायरी ऐसी तेरे नाम से.... कि... जिसने तुम्हे
देखा भी नही, उसने भी तेरी तारीफ कर दी..!
देखा भी नही, उसने भी तेरी तारीफ कर दी..!
》 तुम्हे चाहने की वजह कुछ भी नही
बस इश्क की फितरत हैं बे वजह होना...!
बस इश्क की फितरत हैं बे वजह होना...!
》 काश! मैं ऐसी बात लिखूँ तेरी याद में,
तेरी सूरत दिखाई दे हर अल्फ़ाज़ में.!
तेरी सूरत दिखाई दे हर अल्फ़ाज़ में.!
》 मेरा क्या हाल है तेरे बिना कभी देख तो ले,
जी रहा हु तेरा भूला हुआ वादा बन कर..
जी रहा हु तेरा भूला हुआ वादा बन कर..
》 मेरी शायरी मेरे तजुरबो का इज़हार है और कुछ भी नहीं,
》 जब याद ही ना करना हो किसी को,
तो वक़्त ही बहाना बन जाता है
》 क़ाश कोई ऐसा हो, जो गले लगा कर कहे, तेरे दर्द से मुझे भी तकलीफ होती है....
》 "तु बस मेरे दिल को संभाल के रख दुनिया को तो मे एकेले ही संभाल लुगा "❤
》 मैंने अपने दील से तेरा रिश्ता पुछा, कमबखत कहता है.. जितना में उसका हुँ उतना तेरा भी नहीं ?
》 शायद कोई प्यार भरा DIL टूटा होगा,
वर्ना
OCTOBER में कभी बारिश नहीं होती।
वर्ना
OCTOBER में कभी बारिश नहीं होती।
》हम भी वकालत करते थे मोहबत्त वालो की...
एक बेवफा का केस आया और हम खुद कटघरे में खड़े हो गए.
एक बेवफा का केस आया और हम खुद कटघरे में खड़े हो गए.
》वाह रे जिन्दगी ! भरोसा तेरा एक पल का नहीं;
और नखरे तेरे, मौत से भी ज्यादा ।....
और नखरे तेरे, मौत से भी ज्यादा ।....
》तकदीर ने यह कहकर, बङी तसल्ली दी है मुझे
कि वो लोग तेरे काबिल ही नहीं थे,जिन्हें मैंने दूर
किया है....!!
कि वो लोग तेरे काबिल ही नहीं थे,जिन्हें मैंने दूर
किया है....!!
》उसने पूछा ज़िन्दगी किसने बर्बाद की तुम्हारी.... उठाई हमने ऊँगली और अपने ही दिल पे रख दी!
》न हम उनसे मिलते न प्यार होता!ज़िन्दगी जो अपनी थी वो परायी न होती!
》न जाने क्या कशिश है.. उसकी मदहोश आँखों में..! .. नज़र अंदाज़ जितना करो.. नज़र उस पे ही पड़ती है..!"
》धडकनों को कुछ तो काबू में कर ए दिल अभी तो पलकें झुकाई है मुस्कुराना अभी बाकी है उनका.
》आदते अलग हे हमारी दुनिया वालो से, कम दोस्त रखते हे.. मगर लाज्वाब रखते है... क्योंकि, बेशक हमारी गेंग छोटी है-... पर सदस्य उसमे सारे सुलतान
》तु मेरी चाहत का एक लफ्ज भी ना पढ सकी..
..
मै तेरे दिए हुए दर्द कि किताब पढते पढते अक्सर
सो जाता हू..!!"
..
मै तेरे दिए हुए दर्द कि किताब पढते पढते अक्सर
सो जाता हू..!!"
》 कुछ अहसास उसके सीने में भी तो होगा...
जो कह देता है की मुझे याद ना किया करो...
जो कह देता है की मुझे याद ना किया करो...
》 ले आओ कहीं से मोह़ब्बत के 'हकीम' को...
इस ग्रुप में तो,सिर्फ ईश्क़ के मरीज है..
इस ग्रुप में तो,सिर्फ ईश्क़ के मरीज है..
》 मेरी ख्वाइशें तो आसमान तक पहुचने की है पर मेरा चाँद ही धरती पर है
》 दिल तो दोनों का टूटा हैं ..
वरना चाँद में दाग और सूरज में आग ना होती !!
वरना चाँद में दाग और सूरज में आग ना होती !!
》 मेरी शायरी मेरे तजुरबो का इज़हार है और कुछ भी नहीं,
》 आग सूरज मैँ होती हैँ जलना जमीन को पडता हैँ,मोहब्बत निगाहेँ करती हैँ तडपना दिल को पडता हैँ.
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