:
इतनी सीमेंट है आजकल शहरो की हवाओं मे.. कब दिल पत्थर का हो जाता है पता ही नहीं चलता..
:
मिटा दे उसकी तस्वीर मेरी आँखों से ऐ खुदा,अब तो वो मुझे ख्वाबों में भी अच्छी नही लगती.
:
हमदर्दी ना करो, मुझसे ए मेरे हमदर्द यारो..... वो भी मेरे
हमदर्द थे, जो दे गये दर्द हजारों...
:
हम बादशाह है,फर्क नहीं पड़ता अगर कोई बेगम छोड़कर चली जाये..
क्योंकि बादशाह बनने के लिए कुर्बानी देनी पड़ती है।
:
टूटे हुए सपनो और छुटे हुए अपनों ने मार दिया...वरना ख़ुशी खुद हमसे मुस्कुराना सिखनेआया करती थी..
:
दूर हो जाने की तलब है तो शौक से जा
बस याद रहे की मुड़कर देखने की आदत इधर
भी नही…….
:
देखकर उसको तेरा यु पलट कर चले जाना । नफरत बता रही है कभी तुने मोहब्बत गजब की थी ॥
:
हिम्मत तो इतनी नहीं मुजमे के तुजे दुनिया से छीन लू.लेकिन मेरे दिल से कोई तुजे निकाले इतना हक़ तो मेने खुदको भी नहीं दिया......
:
सौदा कुछ ऐसा किया है तेरे ख़्वाबों ने
मेरी नींदों से..
या तो दोनों आते हैं .. या कोई नहीं आता..
:
तेरी औकात ही क्या है रुह मे मेरे बसने की...!!!?
हम तो शायर है..लोगों की नस_नस में बस जाते है...!
:
किस्मत से लड़ने में मजा, आ रहा है दोस्तो,
ये मुझे जीतने नहीं दे रही, और हार मैं मान नहीं रहा।
:
गिला नही मुझे तेरी रुसवाई का,
(फकीरा) गिला है मुझे तेरी बेबफाई का
:
एसा नही है की जिंदगी से नाराज़ हु में ,
जीने का तरीका पहले कुछ और हुआ करता था
:
: वो कहते है सोच लेना था मोहबत करने से पहले । अब उनको कोंन समझाये सोच कर तो साजिश की जाती है मोहोब्बत नही ...
:
अजीब पैमाना है यहाँ शायरी की परख का
....जिसका जितना दर्द बुरा शायरी उतनी ही अच्छी...
:
कमाल करता है तू भी ए दिल...।
उसे फुर्सत नही और तुझे चेन नही..।
:
नाकामयाब मोहब्बत ही सच्ची होती है ,,
कामयाब होने के बाद मोहब्बत नहीं बचती !!
:
। हँसकर पूछते हे.. तुम कूछ बदल बदल से गये हो और हम मूसकुरा के जवाब देते हे..
टूटे हुये पतों का अक्सर बदल जाता हे
:
मेरी हर कोशिस हमेसा ही नाकाम रही,पहले उसे पाने की,और अब भुलाने की.....
:
औकात क्या है तेरी,ए जिँदगी
चार दिन कि मुहोब्बत ,तुझे तबाह कर देती है.....
:
काश मेरी जिन्दगी का अंत कूछ ईस तरह हो की मेरी कबर पे उनका गर हो, वो जब जब सोये जमीन पर,मेरे सीने लगा उसका सर हो
:
खुद पर भरोसा करने का हुनर सीख लो, सहारे कितने भी सच्चे हो एक दिन साथ छोड़ ही जाते हैं...
:
वो मंज़िल ही बदनसीब थी जो हमें पा ना सकी,वरना जीत की क्या औकात जो हमें ठुकरा दे
:
चलो बिखरने देते है जिंदगी को संभालने कि भी एक हद होती है ।
:
हम मशहुर होने का दावा तो नही करते।मगर…..जिसे भी आखँ भर कर देख लेते है
उसे उलझन मे जरुर डाल देते है।
: भले थे तो किसी ने हाल तक नहीं पूछा,
बुरे बनते ही देखा हर तरफ अपने ही चर्चे है!!
: नए लोग से आज कुछ तो सीखा हे...
पहले अपने जैसा बनाते हे फिर अकेला छोड़ देते है...
: तमाम शराबें पी ली थी इस जाहाँ की मगर
उसकी आँखों में झाँका तो जाना आखिर नशा भी क्या चीज़ हैं
:
तेरे एक-एक लफ्ज़ को हज़ार मतलब पहनाये हमने…
चैन से सोने ना दिया तेरी अधूरी बातों ने…
:
: फुरसत मिले कभी तो पढना अकेले में बैठकर मुझे
नाकाम जिन्दगी की मुक्कमल किताब हूं मैं.!
:
: ना जाने कितनी अनकही बातें साथ ले गया वो,
और लोग झूठ बोलते रहे कि...खाली हाथ गया है ।
:
: सँभाले तो हूँ ख़ुद को तुझ बिन मगर
जो छू ले कोई तो बिखर जाऊँ मैं…
:
इक ठहरा हुआ खयाल तेरा,
कितने लम्हों को रफ़्तार देता है..
:
: तुझ से दूर रहकर मोहब्बत बढती जा रही है,,,
क्या कहूँ,, केसे कहूँ,, ये दुरी तुझे और करीब ला रही है..
: मिले तो हजारों लोग थे जिंदगी में ऐ जान; पर वो सबसे अलग है, जो किस्मतमें नहीं....
: काश वो अाकर हम से कह दे ,मैं भी तन्हां हूँ
तेरे बिन तेरी तरह ,तेरी क़सम तेरे लिए
: डरता हू कहने से की तूम मूझे पसंद हो..
मेरी जिन्दगी बदल देगा तेरा ईनकार भी और एकरार भी..
मेने उस शख्स को कभी हासिल ही नहीं किया...
फिर भी हर लम्हा लगता है, के मेने उसे खो दिया...!!
:
तुम प्यार को मजाक समजती हो और हम मजहब! ।
:
इक मुलाकात थी जो दिल को सदा याद रही
मै जिसे उम्र समझता था वो एक पल निकला !
:
उसके ना होने से कुछ भी नहीं बदला यारों...
बस कल हाथ ख़ाली होता था, आज उसमे कलम है।
: तुम्हारी शातिर नजरे कत्ल करने में माहिर हैं, तो सुन लो. हम भी मर-मर कर जीने में उस्ताद हो गये हैं.
: पर्दा तो होश वालों से किया जाता है....
बेनकाब चले आओ हम तो नशे में है.....♍
: अगर वो मेरे मरने की खबर पुछे तो कह देना,कि"किसी की यादो मे था इतना खोयाकी सांस लेना भुल गया"
:
” तू होश में थी फिर भी हमें पहचान न पायी.., एक हम है कि पी कर भी तेरा नाम लेते रहे….”
:
कल जिनके खातिर तोड़ दी थी हमने सारी हदें
आज उन्होंने ही कह दिया की जरा हद में रहा करो....
: मेरे वफा की गवाही तो सितारे भी देते है....
पर मेरे चाँद को मुजपे एतबार ना आया....
:
शायद यही तो फर्क हैं हम दोनो की सोच में,
की,,
तुम प्यार को मजाक समजती हो और हम मजहब! ।
:
जो दिल के आईने में हो वही हे प्यार के काबिल ,
वरना दिवार के काबिल तो हर तस्वीर होती हे ।
:
तेरी मोहब्बत की कोई सरहद होती तो बेहतर था,
पता तो होता कि सफर कितना बाकी है........
:
एक रस्म मोहब्बत में बनानी होगी , _.
. छोड़ के जाए कोई भी शौक से मगर वज़ह एक दूसरे को बतानी होगी..
इतनी सीमेंट है आजकल शहरो की हवाओं मे.. कब दिल पत्थर का हो जाता है पता ही नहीं चलता..
:
मिटा दे उसकी तस्वीर मेरी आँखों से ऐ खुदा,अब तो वो मुझे ख्वाबों में भी अच्छी नही लगती.
:
हमदर्दी ना करो, मुझसे ए मेरे हमदर्द यारो..... वो भी मेरे
हमदर्द थे, जो दे गये दर्द हजारों...
:
हम बादशाह है,फर्क नहीं पड़ता अगर कोई बेगम छोड़कर चली जाये..
क्योंकि बादशाह बनने के लिए कुर्बानी देनी पड़ती है।
:
टूटे हुए सपनो और छुटे हुए अपनों ने मार दिया...वरना ख़ुशी खुद हमसे मुस्कुराना सिखनेआया करती थी..
:
दूर हो जाने की तलब है तो शौक से जा
बस याद रहे की मुड़कर देखने की आदत इधर
भी नही…….
:
देखकर उसको तेरा यु पलट कर चले जाना । नफरत बता रही है कभी तुने मोहब्बत गजब की थी ॥
:
हिम्मत तो इतनी नहीं मुजमे के तुजे दुनिया से छीन लू.लेकिन मेरे दिल से कोई तुजे निकाले इतना हक़ तो मेने खुदको भी नहीं दिया......
:
सौदा कुछ ऐसा किया है तेरे ख़्वाबों ने
मेरी नींदों से..
या तो दोनों आते हैं .. या कोई नहीं आता..
:
तेरी औकात ही क्या है रुह मे मेरे बसने की...!!!?
हम तो शायर है..लोगों की नस_नस में बस जाते है...!
:
किस्मत से लड़ने में मजा, आ रहा है दोस्तो,
ये मुझे जीतने नहीं दे रही, और हार मैं मान नहीं रहा।
:
गिला नही मुझे तेरी रुसवाई का,
(फकीरा) गिला है मुझे तेरी बेबफाई का
:
एसा नही है की जिंदगी से नाराज़ हु में ,
जीने का तरीका पहले कुछ और हुआ करता था
:
: वो कहते है सोच लेना था मोहबत करने से पहले । अब उनको कोंन समझाये सोच कर तो साजिश की जाती है मोहोब्बत नही ...
:
अजीब पैमाना है यहाँ शायरी की परख का
....जिसका जितना दर्द बुरा शायरी उतनी ही अच्छी...
:
कमाल करता है तू भी ए दिल...।
उसे फुर्सत नही और तुझे चेन नही..।
:
नाकामयाब मोहब्बत ही सच्ची होती है ,,
कामयाब होने के बाद मोहब्बत नहीं बचती !!
:
। हँसकर पूछते हे.. तुम कूछ बदल बदल से गये हो और हम मूसकुरा के जवाब देते हे..
टूटे हुये पतों का अक्सर बदल जाता हे
:
मेरी हर कोशिस हमेसा ही नाकाम रही,पहले उसे पाने की,और अब भुलाने की.....
:
औकात क्या है तेरी,ए जिँदगी
चार दिन कि मुहोब्बत ,तुझे तबाह कर देती है.....
:
काश मेरी जिन्दगी का अंत कूछ ईस तरह हो की मेरी कबर पे उनका गर हो, वो जब जब सोये जमीन पर,मेरे सीने लगा उसका सर हो
:
खुद पर भरोसा करने का हुनर सीख लो, सहारे कितने भी सच्चे हो एक दिन साथ छोड़ ही जाते हैं...
:
वो मंज़िल ही बदनसीब थी जो हमें पा ना सकी,वरना जीत की क्या औकात जो हमें ठुकरा दे
:
चलो बिखरने देते है जिंदगी को संभालने कि भी एक हद होती है ।
:
हम मशहुर होने का दावा तो नही करते।मगर…..जिसे भी आखँ भर कर देख लेते है
उसे उलझन मे जरुर डाल देते है।
: भले थे तो किसी ने हाल तक नहीं पूछा,
बुरे बनते ही देखा हर तरफ अपने ही चर्चे है!!
: नए लोग से आज कुछ तो सीखा हे...
पहले अपने जैसा बनाते हे फिर अकेला छोड़ देते है...
: तमाम शराबें पी ली थी इस जाहाँ की मगर
उसकी आँखों में झाँका तो जाना आखिर नशा भी क्या चीज़ हैं
:
तेरे एक-एक लफ्ज़ को हज़ार मतलब पहनाये हमने…
चैन से सोने ना दिया तेरी अधूरी बातों ने…
:
: फुरसत मिले कभी तो पढना अकेले में बैठकर मुझे
नाकाम जिन्दगी की मुक्कमल किताब हूं मैं.!
:
: ना जाने कितनी अनकही बातें साथ ले गया वो,
और लोग झूठ बोलते रहे कि...खाली हाथ गया है ।
:
: सँभाले तो हूँ ख़ुद को तुझ बिन मगर
जो छू ले कोई तो बिखर जाऊँ मैं…
:
इक ठहरा हुआ खयाल तेरा,
कितने लम्हों को रफ़्तार देता है..
:
: तुझ से दूर रहकर मोहब्बत बढती जा रही है,,,
क्या कहूँ,, केसे कहूँ,, ये दुरी तुझे और करीब ला रही है..
: मिले तो हजारों लोग थे जिंदगी में ऐ जान; पर वो सबसे अलग है, जो किस्मतमें नहीं....
: काश वो अाकर हम से कह दे ,मैं भी तन्हां हूँ
तेरे बिन तेरी तरह ,तेरी क़सम तेरे लिए
: डरता हू कहने से की तूम मूझे पसंद हो..
मेरी जिन्दगी बदल देगा तेरा ईनकार भी और एकरार भी..
मेने उस शख्स को कभी हासिल ही नहीं किया...
फिर भी हर लम्हा लगता है, के मेने उसे खो दिया...!!
:
तुम प्यार को मजाक समजती हो और हम मजहब! ।
:
इक मुलाकात थी जो दिल को सदा याद रही
मै जिसे उम्र समझता था वो एक पल निकला !
:
उसके ना होने से कुछ भी नहीं बदला यारों...
बस कल हाथ ख़ाली होता था, आज उसमे कलम है।
: तुम्हारी शातिर नजरे कत्ल करने में माहिर हैं, तो सुन लो. हम भी मर-मर कर जीने में उस्ताद हो गये हैं.
: पर्दा तो होश वालों से किया जाता है....
बेनकाब चले आओ हम तो नशे में है.....♍
: अगर वो मेरे मरने की खबर पुछे तो कह देना,कि"किसी की यादो मे था इतना खोयाकी सांस लेना भुल गया"
:
” तू होश में थी फिर भी हमें पहचान न पायी.., एक हम है कि पी कर भी तेरा नाम लेते रहे….”
:
कल जिनके खातिर तोड़ दी थी हमने सारी हदें
आज उन्होंने ही कह दिया की जरा हद में रहा करो....
: मेरे वफा की गवाही तो सितारे भी देते है....
पर मेरे चाँद को मुजपे एतबार ना आया....
:
शायद यही तो फर्क हैं हम दोनो की सोच में,
की,,
तुम प्यार को मजाक समजती हो और हम मजहब! ।
:
जो दिल के आईने में हो वही हे प्यार के काबिल ,
वरना दिवार के काबिल तो हर तस्वीर होती हे ।
:
तेरी मोहब्बत की कोई सरहद होती तो बेहतर था,
पता तो होता कि सफर कितना बाकी है........
:
एक रस्म मोहब्बत में बनानी होगी , _.
. छोड़ के जाए कोई भी शौक से मगर वज़ह एक दूसरे को बतानी होगी..
:
Nice
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteRohit
ReplyDeletePawar
Poha